स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस जैसे राष्ट्रीय उत्सव भारतीयों द्वारा बहुत ही धूमधाम से मनाये जाते हैं। ऐसे राष्ट्रीय त्योहारों पर सभी देशवासियों द्वारा स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान एवं  हमारे राष्ट्र के निर्माणकर्ताओं की भूमिका को याद किया जाता है। यह त्योहार हमारे ह्रदय में राष्ट्रप्रेम और देशभक्ति की ऊर्जा को प्रसारित करते हैं।

गणतंत्र दिवस के दिन हम सभी राजपथ पर परेड देखने के लिए और स्वतंत्रता दिवस के दिन माननीय प्रधानमंत्री द्वारा देश के विकास और देश की सफलताओं पर दिए गए भाषण को सुनने के लिए उत्साहित रहते हैं।

इस वर्ष 26 जनवरी 2023 को भारत अपना 74वाँ गणतंत्र दिवस मनाने जा रहा है। इस दिन हमारा संविधान लागू हुआ था।

 

26 जनवरी हो या 15 अगस्त, दोनों ही राष्ट्रीय पर्वों पर पर हमारे राष्ट्रीय ध्वज को सम्मान देने की परंपरा रही है। परन्तु यदि आपने गौर किया हो तो आप पायेंगे कि गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस पर होने वाले झंडा वंदन में एक अंतर होता है।

 

क्या अंतर है ‘ध्वजारोहण’ और ‘झंडा फहराने’ में?

 

गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस, दोनों ही त्योहारों पर हमारे राष्ट्रीय ध्वज को सम्मान दिया जाता है। परन्तु दोनों दिवसों पर राष्ट्रीय झंडे को सलामी देने की शैली और स्थिति कुछ अलग होती है। 

जब स्वतंत्रता दिवस पर ध्वजारोहण किया जाता है तो उसे बांधकर खंभे के नीचे स्थित किया जाता है। 15 अगस्त 1947 को हमारा देश ब्रिटिश शासन की गुलामी से आज़ाद हुआ था और इस ऐतिहासिक घटना का सम्मान करने के उद्देश्य से देश के प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्रीय ध्वज को ऊपर उठाया जाता है। इसे ध्वजारोहण कहते हैं। स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री ध्वजारोहण करते हैं। स्वतंत्रता दिवस पर, झंडा रोहण औपनिवेशिक शासन से मुक्त एक नए राष्ट्र के उदय का प्रतीक है।

 

जबकि गणतंत्र दिवस पर जब झंडा फहराया जाता है। राष्ट्रीय ध्वज को बंद करके खंभे के ऊपर बांध दिया जाता है और जिसे पूरा खोलकर फहराया जाता है। इसे झंडा फहराना कहा जाता है। गणतंत्र दिवस पर, देश उस दिन को मनाता है जब संविधान को अपनाया गया था। संविधान सभा ने अपना पहला सत्र 9 दिसंबर, 1946 को और आखिरी सत्र 26 नवंबर, 1949 को आयोजित किया और फिर एक साल बाद संविधान को अपनाया गया। डॉ बीआर अंबेडकर ने संविधान की मसौदा समिति की अध्यक्षता की। गणतंत्र दिवस भारत में एक राष्ट्रीय अवकाश है। इस दिन को यादगार बनाने के लिए स्कूलों और कॉलेजों में सांस्कृतिक कार्यक्रमों और प्रदर्शनों का आयोजन किया जाता है।

क्या आपने कभी सोचा है कि गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रपति ही झंडा क्यों फहराते हैं?
दरअसल, 15 अगस्त, 1947 के दिन जब भारत  स्वतंत्र हुआ, तो उस समय प्रधानमंत्री ही देश के मुखिया थे। जिसके कारण आज़ादी मिलने पर स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने लाल किले से ध्वजारोहण किया था। लेकिन आजादी के बाद जब 26 जनवरी, 1950 में देश का संविधान लागू किया गया, तो राष्ट्रपति की शपथ ले चुके डॉ. राजेंद्र प्रसाद देश के संवैधानिक प्रमुख थे। उन्होंने गणतंत्र दिवस के अवसर पर झंडा फहराया था। तब से लेकर आज तक यह परंपरा चली आ रही है कि स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री ध्वजारोहण करते हैं और गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रपति झंडा फहराते हैं।

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